Wednesday, April 7, 2010

NAXALITES & प्यारा चिदंबरम

क्या कहू कुछ समझ में नहीं आ रहा है? नक्सल वाद को कोसूं या हमारे नाकाबिल होम मिनिस्टर "प्यारे चिदंबरम" को? उफ़ यह बस ड्रेस नहीं बदलता बाकि सब हरकतें शिवराज पाटिल की ही है। निकम्मापन, उलटे सीधे (नहीं सीधे नहीं उलटे ही पढ़े प्लीज़) वक्तव्य, जबरदस्ती मुस्कराना, जरूरत नहीं हो तब भी फिनांस के बारे में बोलना, दूसरों के पोर्त्फ़ोइलो में दखल देना!!! कब बंद करोगे साहेब और अपनी होम मिनिस्ट्री को सँभालने लायक बनोगे या अप्प भी टाइम पास कर रहे हो बाकि मंत्रियों की तरह। देश तो कब का बेच चुके हो जनाब आप, जब फिनांस मिनिस्टर हुआ करते थे।
भगवन कब मुक्ति मिलेगी इन तथाकथित स्ट्रोंग मिनिस्टरों से जो कोई काम ही नहीं करना चाहते सिवाय बकवास करने के। कोई तो सरदार पटेल की तरह हिम्मत दिखाए या शेषण की तरह बदलने की जुर्रत करे इस देश को। और कितने खून हमारे जवानों को, सैनिको को बहाना पढ़ेगा इन नाकाबिल ५४३ लोगो की सुरक्षा करने के लिए।
बाबा रामदेव आप भी पोलिटिक्स में आना छह रहे है तो क्या आप भी इन लोगो की तरह बनेंगे या फिर हमें दुबारा आज़ादी दिलाएंगे इन ल्लोगो से जो हम पर अनावश्यक राज कर रहे है।
जय हिंद जय हिंद की सेना......जय हिंद जय हिंद (कुछ याद आया या खून गरम हुआ)

7 comments:

  1. khamiyan nikalna hamari aadat si ban gayi he.hamesha neta ki burai ,vahi purane logo ki baate jo kabhi vapas nahi aa sakte(na koi unke jesa kabhi repeat ho sakta hai)phir kyon aap aaj ki baat nahi karte?kyon kabhi positive attitude nahi rakhte?kyon 1 rs ke akhbaar ki bakwass ko sach mann lete ho ?kyon kabhi achchhe ki umeed nahi karte ho ?....brother achchha time chal raha he.. aur aane wala time aur achchha aayega. aur use lane ke liye koi baba ramdev kaam nahi aayenge...yog ek vidha he aur "rajniti"dusri....evbery thing is going well and always spread good idealogy...(ye baate jo aap karte ho ye bahoot ghisi-piti aur hamari idealogy ko sankochit karne vali hai.)thankyou sachin

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  2. Aapka gussa jayaz hai...hinsachar ki ghatna tazi hai...yah sahi kaha ki,galti home department kee hai,jiske tahat police aati hai...SRPF ke jawan aaj idhar to kal udhar aisi zindagi jeete hain...unhen ilaqa maloom nahi hota aur naxalwadiyon ke liye ghaans ki har pattee jani pahchani!

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  3. राजीव जी आपके लेख को पढ़कर खून खौला और खूब खोला! लेकिन नहीं चाहता कि इस दफा यह फिर से ठंडा हो जाये.... इसके लिए हम सभी को मिलकर एक अभियान रूप में प्रयास करना होगा. और ब्लॉगिंग से अच्चा ज़रिया भला क्या हो सकता है.अतः हमें संकल्प लेना होगा की हम लेखन के माध्यम से सुप्त पड़ी जन भावनाओं को जगाएं और लोगों कि सोच को व्यक्तिवादी आवरण से निकाल कर उनमें समष्टि के प्रति संवेदन शीलता का संचार करें. यही हमारा लक्ष्य हो और परम कर्त्तव्य भी.
    मैं प्रगतिवादी कविता की कुछ पंक्तियाँ लिख रहा हूँ जो आज अत्यंत प्रासंगिक बन पड़ी हैं:

    "सदियों से बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है. दो राह समय के रथ का घर-घर नाद सुनो, सिंघासन खाली करो कि जनता आती है."


    ---ध्यान रहे इसके लिए हमें लिखना होगा,एक दूसरे को पढना होगा और फिर लिखना होगा. इस विश्वास के साथ की कुछ अच्चा ही होगा………

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  4. हिंदी में आपका लेखन सराहनीय है, इसी तरह तबियत से लिखते रहे... धन्यवाद.

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  5. हिंदी में आपका लेखन सराहनीय है.... इसी तरह तबियत से लिखते रहिये.. धन्यवाद.

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  6. इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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